मेजर सोमनाथ शर्मा

 प्रथम परमवीर चक्र विजेता 
मेजर सोमनाथ शर्मा 





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       🇮🇳 *गाथा बलिदानाची* 🇮🇳
                 ▬ ❚❂❚❂❚ ▬                  संकलन : सुनिल हटवार ब्रम्हपुरी,          
             चंद्रपूर 9403183828                                                      
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          *मेजर सोमनाथ शर्मा*
(परमवीरचक्र सम्मान प्राप्त करने वाले भारतीय सेना के प्रथम अधिकारी)

      *जन्म : 31 जनवरी 1923*
(दध, कांगड़ा, पंजाब प्रान्त, ब्रिटिश भारत)
*देहांत : 3 नवम्बर 1947 (उम्र 24)*
         (बड़गाम, भारत)
निष्ठा : ब्रिटिश भारत, भारत
सेवा/शाखा : ब्रिटिश भारतीय सेना, भारतीय सेना
सेवा वर्ष : १९४२-१९४७
उपाधि : मेजर
सेवा संख्यांक : IC-521
दस्ता : चौथी बटालियन, कुमाऊं रेजिमेंट
युद्ध/झड़पें : द्वितीय विश्व युद्ध
भारत-पाकिस्तान युद्ध 1947
सम्मान : परमवीर चक्र
सम्बंध : जनरल वी एन शर्मा (भाई)
                 मेजर सोमनाथ शर्मा भारतीय सेना की कुमाऊँ रेजिमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कंपनी-कमाण्डर थे जिन्होने अक्टूबर-नवम्बर, १९४७ के भारत-पाक संघर्ष में हिस्सा लिया था। उन्हें भारत सरकार ने मरणोपरान्त परमवीर चक्र से सम्मानित किया। परमवीर चक्र पाने वाले वे प्रथम व्यक्ति हैं।                                                                       १९४२ में सोमनाथ शर्मा जी की नियुक्ति उन्नीसवीं हैदराबाद रेजिमेन्ट की आठवीं बटालियन में हुई। उन्होंने बर्मा में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अराकन अभियान में अपनी सेवाएँ दी जिसके कारण उन्हें मेन्शंड इन डिस्पैचैस में स्थान मिला। बाद में उन्होंने १९४७ के भारत-पाक युद्ध में भी लड़े और ३ नवम्बर १९४७ को श्रीनगर विमानक्षेत्र से पाकिस्तानी घुसपैठियों को बेदख़ल करते समय वीरगति को प्राप्त हो गये। उनके युद्ध क्षेत्र में इस साहस के कारण मरणोपरान्त परम वीर चक्र मिला।

💁🏻‍♂️ *प्रारम्भिक जीवन*
                सोमनाथ शर्मा जी का जन्म ३१ जनवरी १९२३ को दध, कांगड़ा में हुआ था, जो ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रान्त में था और वर्तमान में भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश में है। उनके पिता अमर नाथ शर्मा एक सैन्य अधिकारी थे। उनके कई भाई-बहनों ने भारतीय सेना में अपनी सेवा दी। उनके कई भाई सेना में रह चुके थे।
                         सोमनाथ शर्मा ने देहरादून के प्रिन्स ऑफ़ वेल्स रॉयल मिलिट्री कॉलेज में दाखिला लेने से पहले, शेरवुड कॉलेज, नैनीताल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। बाद में उन्होंने रॉयल मिलिट्री कॉलेज, सैंडहर्स्ट में अध्ययन किया। अपने बचपन में सोमनाथ शर्मा जी भगवद गीता में कृष्ण और अर्जुन की शिक्षाओं से प्रभावित हुए थे, जो उनके दादा द्वारा उन्हें सिखाई गई थी।

👮‍♂️ *सैन्य करियर*
                २२ फरवरी १९४२ को रॉयल मिलिट्री कॉलेज से स्नातक होने पर, श्री सोमनाथ शर्मा की नियुक्ति ब्रिटिश भारतीय सेना की उन्नीसवीं हैदराबाद रेजिमेन्ट की आठवीं बटालियन में हुई (जो कि बाद में भारतीय सेना के चौथी बटालियन, कुमाऊं रेजिमेंट के नाम से जानी जाने लगी)। उन्होंने बर्मा में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अराकन अभियान में जापानी सेनाओं के विरुद्ध लड़े। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने अराकन अभियान बर्मा में जापानी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की। उस समय उन्होंने कर्नल के एस थिमैया की कमान के तहत काम किया, जो बाद में जनरल के पद तक पहुंचे और १९५७ से १९६१ तक सेना में रहे। श्री सोमनाथ शर्मा को अराकन अभियान की लड़ाई के दौरान भी भेजा गया था। अराकन अभियान में उनके योगदान के कारण उन्हें मेन्शंड इन डिस्पैचैस में स्थान मिला।
               अपने सैन्य कैरियर के दौरान, श्री सोमनाथ शर्मा, अपने कैप्टन के. डी. वासुदेव जी की वीरता से काफी प्रभावित थे। कैप्टन वासुदेव जी ने आठवीं बटालियन के साथ भी काम किया, जिसमें उन्होंने मलय अभियान में हिस्सा लिया था, जिसके दौरान उन्होंने जापानी आक्रमण से सैकड़ों सैनिकों की जान बचाई एवं उनका नेतृत्व किया।

💥  *बड़ग़ाम की लड़ाई*
                    बड़ग़ाम की लड़ाई और १९४७ का भारत-पाक युद्ध
२७ अक्टूबर १९४७ को,पाकिस्तान द्वारा २२ अक्टूबर को कश्मीर घाटी में आक्रमण के जवाब में भारतीय सेना के सैनिकों का एक बैच तैनात किया गया, जो भारत का हिस्सा था । ३१ अक्टूबर को, कुमाऊँ रेजिमेंट की ४ थी बटालियन की डी कंपनी, श्री सोमनाथ शर्मा की कमान के तहत श्रीनगर पहुंची थी। इस समय के दौरान उनके बाएं हाथ पर प्लास्टर चढ़ा था जो हॉकी फील्ड पर चोट के कारण लगा था, लेकिन उन्होंने अपनी कंपनी के साथ युद्ध में भाग लेने पर जोर दिया और बाद में उन्हें जाने की अनुमति दी गई।
                              ३ नवंबर को, गस्त के लिए, बड़गाम क्षेत्र में तीन कंपनियों का एक बैच तैनात किया गया था। उनका उद्देश्य उत्तर से श्रीनगर की ओर जाने वाले घुसपैठियों की जांच करना था। चूंकि दुश्मन की तरफ से कोई हरकत नहीं थी, दो तिहाई तैनात टुकड़ियाँ दोपहर २ बजे श्रीनगर लौट गईं। हालांकि, श्री सोमनाथ शर्मा की डी कंपनी को ३:०० बजे तक तैनात रहने का आदेश दिया गया था।

🏅 *परम वीर चक्र*
                    २१ जून १९४७ को, श्रीनगर हवाई अड्डे के बचाव में ,३ नवम्बर १९४७ को अपने कार्यों के लिए, परम वीर चक्र से श्री सोमनाथ शर्मा को सम्मानित किया गया था। यह पहली बार था जब इसकी स्थापना के बाद किसी व्यक्ति को सम्मानित किया गया था। संयोगवश, श्री शर्मा के भाई की पत्नी सावित्री बाई खानोलकर , परमवीर चक्र की डिजाइनर थी ।

🧭 *विरासत*
                   १९८० में जहाज़रानी मंत्रालय, भारत सरकार के उपक्रम भारतीय नौवहन निगम (भानौनि) ने अपने पन्द्रह तेल वाहक जहाज़ों के नाम परमवीर चक्र से सम्मानित महावीरों के सम्मान में उनके नाम पर रखे। तेल वाहक जहाज़ एमटी मेजर सोमनाथ शर्मा, पीवीसी ११ जून १९८४ को भानौनि को सौंपा गया। २५ सालों की सेवा के पश्चात जहाज़ को नौसनिक बेड़े से हटा लिया गया।

📯 *लोकप्रिय संस्कृति में*
             परम वीर चक्र विजेताओं के जीवन पर टीवी श्रृंखला का पहला एपिसोड, परम वीर चक्र (१९८८ ) ने ३ नवंबर १९४७ के श्री सोमनाथ शर्मा के कार्यों को शामिल किया था। उस प्रकरण में, उनका किरदार फारूक शेख द्वारा अभिनीत किया गया था। इस चेतन आनंद ने निर्देशित किया था।

✍️ *टिप्पणियाँ*
                वे मेजर जनरल के रूप में आर्म्ड मेडिकल सर्विस के डायरेक्टर जनरल पद पर रहते हुए सेवानिवृत्त हुए।
               उनके भाई सुरिन्दर नाथ शर्मा थलसेना में लेफ्टिनेन्ट जनरल रह चुके हैं (जो इंजिनियर-इन-चीफ पद से सेवानिवृत्त हुए) जबकि दूसरे भाई विश्वनाथ शर्मा १९८८-९० के दौरान थलसेनाध्यक्ष रह चुके हैं। उनकी बहन मेजर कमला तिवारी सेना में चिकित्सका थीं।

           🇮🇳 *जयहिंद*🇮🇳

🙏🌹 *विनम्र अभिवादन* 🌹🙏
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           स्त्रोत ~ WikipediA                                                                                                                                                                                                                                                        ➖➖➖➖➖➖➖➖➖                                          
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